
मिलना सब से बन्दे प्रेम और प्यार से,
एक दिन जाना होगा झूठे संसार से ।
अपनी अदालत में मालिक बुलाएगा,
उसके फैसले से तुझको कौन बचाएगा ।
आँसू बहायेगा तू कर्मो की मार से,
एक दिन जाना होगा झूठे संसार से ||1||
ईश्वर की भक्ति में जिसे विशवास हुआ,
प्रभु उसके पास और वो प्रभु जी के पास हुआ ।
रावण का नाश
हुआ उसके अहंकार से,
एक दिन जाना होगा झूठे संसार से ||2||
भक्ति की भावना से ऐसे से भी मोड़ आए,
अपने भगत की खातिर नंगे पाँव दौड़ आए ।
बैकुंठ छोड़ आए गज की पुकार से,
एक दिन जाना होगा झूठे संसार से ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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