जरा रास तो रचाओ रसिया रस भीनी शरद की रात है

जरा रास तो रचाओ रसिया रस भीनी शरद की रात है








जरा रास तो रचाओ रसिया
रस भीनी शरद की रात है
देखो देखो सघन वन कुंज में
रानी राधा सहेलियों के साथ है l




हम सब आई ब्रज में बुलाई
कैसी बजाई श्याम बांसुरिया
माता पिता बालक से बिछुड़कर
उनके मिलन मन आतुरिया
पति सेवा न हमको सुहात है
तेरे चरणों में आई अनाथ है ll1ll




सास ननद और पास पड़ोसन
हमको सदा सतावत है
मनमोहन की प्यारी मिलिनीया
कह कह आँख दिखावत है
अब तू ही अनाथों का नाथ है
इस दासी का दिल तेरे पास है ll2ll

जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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