
भजन अन्नकूट
तर्ज़-ऐसी मस्ती कँहा मिलेगी
अन्नकूट का, भोग बनाया, ओ साँवरिया आवो,
"आकर भोग लगावो"-2
छप्पन भोग, छत्तीसों व्यंजन, रुच रुच चखते जावो, "
आकर भोग लगावो"-2 |
हमने भगति, भाव से बाबा, तुमको आज सजाया
तरह तरह का, रँग बिरँगा, गजरा तुम्हे पहनाया
आज तो लीले, घोड़े चढ़कर, भगतों के घर आवो,
"हमको दरश दिखावो"-2 ||1||
घर में वन्दन, वार बँधाई, चन्दन चौक पुराया
धुप दीप नै,-वैद्य सुगन्धित, ईत्तर से महकाया
शुभ स्वागत में, पलकें बिछाई, अब ना देर लगावो,
"बाबा जल्दी आवो"-2 ||2||
आज हमारे, घर में आकर, हमरा मान बढ़ावो
कहता 'रवि' है, हमको बाबा, अपने गले लगावो
अन्नकूट की, भोग प्रसादी, हमको भी दे जावो,
"और नही तरसावो"-2 ||3|
रविन्द्र केजरीवाल 'रवि'
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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