
ओ कान्हा,अब तोह मुरली की।मधुर सुना दो तान॥जबसे तुम संग
ओ कान्हा,अब तोह मुरली की।
मधुर सुना दो तान॥
जबसे तुम संग मैंने अपने।
नैना जोड़ लिए है॥
मै हु तेरी, प्रेम दीवानी।
मुझको तुम पहचान॥1||
क्या मैया क्या बाबुल सबसे।
रिश्ते तोड़ लिए है॥
तेरे मिलन को, व्याकुल है ये।
कबसे मेरे प्राण||2||
सागर से भी गहरी मेरे।
प्रेम की गहराई॥
लोक, लाज,कुल की मरियादा।
तज कर मै तोह मिलनआयी॥
मेरी प्रीती से, ओ निर्मोही।
अब न बनो अनजान||3||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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