
कान्हा, मेरे मन की सी मत करियो।जो लागे तोहे हित
कान्हा, मेरे मन की सी मत करियो।
जो लागे तोहे हित मेरे,सो तू करियो।।
मन छलिया, ना माने तनिक ये मेरी।
भरोसा यापे कभी, मत तू करियो ||1||
बीती उमरिया, कल कल करते याकी।
मन कहवे, तनिक तू धीरज धरियो ||2||
श्यामा श्याम रसायन, दोउ हितकारी।
ठूंस ठूंस सो मन भीतर तू भरियो ||3||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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