

तक़दीर अपनी अपनी ख्याल अपना अपना
सब लोग कह रहे हैं यह हाल अपना अपना |
कोई दीन करके मरता कोई लूट एैसे करता
कोई धर्मी आहे भरता कोई पाप करके तरता
है हुनर अपना अपना कमाल अपना अपना ll1ll
जाहिल हुकुम कही पर कोई चला रहा है
गुणवान इल्म वालाकोई ढक के खा रहा है
है रोग अपना अपना जलाल अपना अपना ll2ll
कोई लूटता है दुनिया हरिनाम के सहारे
कोई सारी दौलत अपनी हरिनाम पे ही वारे
फैला रहे हैं सब यह जाल अपना अपना ll4ll
कोई उम् भर कमाकर भूखा ही मर रहा है
कोई बैठकर् निकम्मा ही पेट भर रहा है
किस्मत है अपनी अपनी इक़बाल अपना अपना ll3ll
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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