
उल्फ़त नशे का ज़िद सभी सच्चा गुरूर होगा।
परमात्मा उसी दम जाहिर जरूर होगा॥
अधमों की अधमता पर खुश हो अधम उधारण।
फिर क्यों न अधमता पर हमको गुरूर होगा॥1||
हर शै में उसकी सूरत उस दिन झक पड़ेगी।
जिस दिन दुई का पर्दा इस दिल से दूर होगा॥2||
लग जाएगी जो उसके कदमों की एक ठोकर।
पापों का सख्त पुतला पल भर में चूर होगा॥3||
गर अश्रु ‘बिन्दु’ यूं ही बरसेंगे तो बिला शक।
बंदे के सामने ख़ुद हाजिर हुजूर होगा ||4||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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