
तेरा दीदार क्यों नहीं होता
मुझपे उपकार क्यों नहीं होता|
मैं गुनहगार फिर भी तेरा हूँ
तुझको ऐतबार क्यों नहीं होता ||1||
लाखों पापी तूने तार दिए
मेरा उद्धार क्यों नहीं होता ||2||
तेरी चोखट पे जो मैंने किया
सजदा स्वीकार क्यों नहीं होता ||3||
तेरे आँचल में छुपके रो लेता
ऐसा इक बार क्यों नहीं होता ||4||
तेरी रहमत की चार बूंदों का
ये दास हकदार क्यों नही होता ||5||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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