
अहो लड़ेती इतनी मोपै,
कृपा करौ बलि जाऊँ।
जागत सोवत रर्टों निरंतर
राधा राधा नाउँ।
हिय जिय रसना स्वास् स्वास प्रति
रोम रोम रट लाऊँ।
जोलों नाम सांस तब ही लौ,
एकमेक हे जाऊं।
नाम रूप मय,रूप नाममय ,
विवि मय ह्वै दुलराउँ।
पियत छकी मतवारी प्यासी,
प्यास पियत न अघाऊँ।
जान परे नहि साँझ सवेरौ ,
ऐसे जनम गवाऊं।
श्री हित बेगि ढेरो भोरी पै,
हुलसि हुलसि जस गाऊँ।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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