
वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्तव्य मार्ग पर डट
वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जावें
पर-सेवा पर-उपकार में हम, जग-जीवन सफल बना जावें|
हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के सेवक बन संताप हरें,
जो हैं अटके, भूले-भटके, उनको तारें खुद तर जावें||1||
छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें,
जीवन हो शुद्ध सरल अपना, शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें||2||
निज आन-बान, मर्यादा का प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे,
जिस देश-जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें ||3||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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