
तर्ज़-तुम्हारी नज़र, क्यूँ खफा हो गई
मुझे साँवरे, तुम नहीं छोड़ना
मुझसे कभी, मुँह नहीं मोड़ना
ज़माने का इतना, सताया हूँ मैं
मेरा दिल कभी, तुम नहीं तोड़ना |
ये हालत मेरी, बद से बद-तर हुई है
ये दुनिया चुभाती, हर, घाव में सुई है
मेरा हाथ अब, तुम नहीं छोड़ना ||1||
तुम्हारे सिवा, अब मैं जा-वूं कँहा पर
बता दो जगह, दुःख नहीं, है जँहा पर,
गमे ज़िन्दगी से अब, नहीं जोड़ना ||3||
मुझे तो सहा-रा तुम्हा-रा है बाबा
ये कहता 'रवि', तू ही, मे-रा है बाबा
मुझे अब कँही भी, नहीं दौड़ना ||3||
रविन्द्र केजरीवाल 'रवि'
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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