मैं ना-ना करती हार गई रंग डार गयौ री।मैं बरसाने

मैं ना-ना करती हार गई रंग डार गयौ री।मैं बरसाने




मैं ना-ना करती हार गई रंग डार गयौ री।


मैं बरसाने की बाला, वे नन्दगांम के ग्वाला,
जिनकौ नायक नन्दलाला, मोय बिगार गयौ री।।


अति की शरमीली गोरी और रंग में ऐसी बोरी,
अछपिछनी थोरी-थोरी, चूँदर फार गयौ री।।


नित करै अटपटी बत्तियां, सुनकें गारी दें सखियां
दुनिया की देखें, अखियां, सैंन चलाय गयौ री।।


बरजारी मैं झकझोरी, मोते लिपट गयौ भर कौरी,
यानें मरयादा सब तोरी, बगल दबाय गयौ री।।


कितनों हू औगन गारौ, फिर हू मनमीत हमारौ,
हुरयारौ 'शरन' सहारौ, चित्त समाय गयौ री।।

जै श्री राधे कृष्ण


🌺

श्री कृष्णायसमर्पणं



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