
काहना पिचकारी मत मारे रंग बिरंगी होय |चुनर नहीं हमारी प्यारेओ
काहना पिचकारी मत मारे
रंग बिरंगी होय |
चुनर नहीं हमारी प्यारे
ओ मनमोहन बंशीवारे
इतनी सुन ले नन्द दुलारे
पूछेगी वो सास हमारी
कासो लेई भिजोये ll1ll
सबको ढंग भयो मतवारो
दुखदायी है फागुन सारो
कुलवंतीन को अवगुण वारो
मारग अब में तो मैं मत रोके
मैं समझाऊँ तोय ll2ll
छांड दई रंग की पिचकारी
हंस हंस के रसिया बनवारी
भीज गयी सबरी ब्रज नारी
लै के शरम का ऊपर मल गयी
नेकौ शरम न होय ll3ll
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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