
क्या लेकर तू आया जग में,क्या लेकर जायेगा |सोच समझ
क्या लेकर तू आया जग में,
क्या लेकर जायेगा |
सोच समझ कर ये मन मूरख,
आखिर में पछतायेगा |
भाई बंधु मित्र तुम्हारे,
मरघट तक ही जायेंगे |
स्वार्थ के दो आँसू देके,
लौट लौट घर आयेंगे |
कोई न तेरे साथ चलेगा,
काल तुझे ही खायेगा ll1ll
कंचन जैसी कोमल काया,
तुरत जलायी जायेगी |
जिस नारी से नेह घनेरा,
वो भी देख डरायगी |
एक मास तक याद रखेगी,
फिर तू याद न आएगा ll2ll
राजा रंक पुजारी पंडित,
सबको एक दिन जाना है |
आँख खोलकर देख ले बांवरे,
जगत मुसाफिर खाना है |
पाप पुण्य ही साथ चलेगा,
अंतिम साथ निभायेगा ll3ll
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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