
श्रीजी सब देवन में बडे हैं, हम तो श्रीजी की शरण
श्रीजी सब देवन में बडे हैं,
हम तो श्रीजी की शरण पडे हैं।
श्रीजी हमारे हम श्रीजी के,
श्रीजी चित्त धरे हैं ||1||
नाम रटो श्री गोवर्धन धर को तो,
पापी के पाप झडे हैं ||2||
मोर मुकुट पीतांबर सोहे,
मुरली अधर धरे हैं ||3||
नित नये बागा, नित नये बिस्तर,
नित नये भोग धरे हैं ||4||
जमुना जल और पान की बीडी ,
तो झारी में रतन जडे हैं ||5||
भक्ति के वश में, प्रेम के रस में ,
तो श्री जी आन पडे हैं||6||
भक्तों को दर्शन दे क्षण क्षण में,
तो हिचकी में हीरा जडे हैं ||7||
कृष्णदास प्रभु की छबि निरखत,
चरणों में चित्त धरे हैं ||8||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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