
तर्ज-दीनानाथ मेरी बात छानी कोनी थारै सै
झुमों नाचों, थाल बजावो, राम लला का जनम भया
चँग नगाड़ा, ढ़ोल बजावो, राम लला का जनम भया
दसरथ जी कौशल्या-कैकयी, मात सुमित्रा मोद करे
राम लखन और भरत शत्रुघन, पालणियै में खेल करे
आज बधाई, सब मिल गावो, राम लला का जनम भया ||1||
सोना चाँदी, गहना गूँठी, राजा दसरथ लुटा रहे
आज खज़ाना, खोल दिया है, गहरी ख़ुशी मनाय रहे
जयकारों से, गगन गूँजावो, राम लला का जनम भया ||2||
आज अवध की, गली चौबारे, लगते जैसे दुल्हन हैं
कहे "रवि" घी, के दीयों से, जगमग हर घर आँगन हैं
नूण राई कर, नजर उतरावो, राम लला का जनम भया ||3||
रविन्द्र केजरीवाल "रवि"
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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