
श्री राम धुन में जब तक मन तू मगन न
श्री राम धुन में जब तक मन तू मगन न होगा
जग जाल छूटने का जब तक जतन न होगा|
व्यापार धन कमाकर तू लाख साज सज ले
होगा सुखी न जब तक सन्तोष धन न होगा ll1ll
जप यज्ञ होम पूजा व्रत और नेम कर ले
सब व्यर्थ है जो मुख से हरि का भजन न होगा ll2ll
संसार की घटा से क्या प्यास बुझ सकेगी
चातक दृगों को जब तक घनश्याम घन न होगा ll3ll
तू तौल कर जो देखे आँखों का प्रेम मोती
एक बिंदु पर त्रिलोकी भर का भजन न होगा ll4ll
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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