जनकपुर जन जन उर में छाई अतिशय प्रेम की तरंगहमारी

जनकपुर जन जन उर में छाई अतिशय प्रेम की तरंगहमारी








जनकपुर जन जन उर में छाई अतिशय प्रेम की तरंग
हमारी श्री जी के मन में छाई अति ही उमंग ।




जगद्गुरु श्री राजेन्द्र दास , जो श्री सियावर के खास
प्रदाता भक्त भक्ति भगवदगुरु दुर्लभ , प्रेम भक्ति रस रंग ।।1।।




लगी बरसों की आस पूरायी आये ,सन्त सुजन सुखदाई
अब तो हिय की कली खिली पाकर के अमृतमय सत्संग ।।2।।




सखियाँ सुमन माल बरसावे, इनकी जय जयकार मनावे
नगर में धूम मची ज्यो आये रघुवर लखन लाल के संग ।।3।।




कमलानी में नित नहवाये रतन सागर की सैर कराये
कबहु विहार कुंड की झांकी झाँके ,हर्षित हो के दंग ।।4।।




इन्हें सब भांति जनकपुर राखे , इन सो नित हम हरि रस चाखे
विनय यह प्रेम लता की सिय सियावर से ऐसा बने सुढंग ।।5।।


जै श्री राधे कृष्ण


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श्री कृष्णायसमर्पणं

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