झूला पड्यो री कदम्ब की डार         

झूला पड्यो री कदम्ब की डार         



झूला पड्यो री कदम्ब की डार
          झुलावे ब्रज नारी




रेशम की सखी डोरी पड़ी है
    मोतियन सों कैसी पटरी  जुडी है
          वामे बैठे नन्द कुमार||1||




मधुर मधुर श्याम बंसी बजावत
   बंसी बजावत रस बरसावत
         नन्हीं नन्हीं परत है फुहार ||2||




श्याम राधिका झूला झूलें
   गोपी ग्वाल देख् कर फूलें
         सब गावत हैं मल्हार ||3||


पड़ गये  झूले सावन ऋतू आयी रे 
सावन ऋतू आयी रे  झूलन ऋतू आयी रे 
पड़ गये  झूले सावन ऋतू आयी रे 

जै श्री राधे कृष्ण



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श्री कृष्णायसमर्पणं

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