
प्रिये अब कर लो तुम श्रृंगारकि झूले पड़ गए सावन
प्रिये अब कर लो तुम श्रृंगार
कि झूले पड़ गए सावन के
सुनो अब छोड़ो भी तकरार
कि झूले पड़ गए सावन के
मेघ बरसते बिजली कड़की
मन में एक चिंगारी भड़की
दिल मेरा होकर भी इसमें
धड़कन तेरे नाम से धड़की
रिमझिम बरस रहा है प्यार
कि झूले पड़ गए सावन के||1||
लगाकर मेंहदी आई हो
घटा सी मुझपर छाई हो
मन में उमड़े हुए प्रेम कि तुम
भीगी सी फुहारें लाई हो
बड़ी कातिल कजरे की धार
कि झूले पड़ गए सावन के ||2||
जै श्री राधे कृष्ण
🌺
श्री कृष्णायसमर्पणं
Previous Post
झूलन चलो हिंडोलना वृशभानु नंदिनी |सावन की तीज आई घन
Next Post
झूले नवल
0 Comments: