झूलन चलो हिंडोलना वृशभानु नंदिनी |सावन की तीज आई घन
झूलन चलो हिंडोलना वृशभानु नंदिनी |
सावन की तीज आई घन घोर घटा छाई,
मेघन झरी लगायी परें बूँद मंदिनी ||1||
सुन्दर कदम की डारी झूला परयो है
भारी देखो कुंवरी किशोरी सब दुख निकंदिनि ||2||
पहिरो सुरंग साड़ी मानो विनय हमारी,
मुखचंद की उज्यारी मृदुहास फंदिनी ||3||
मम मान सीख लीजे सुंदरी ना देर कीजे,
हम तो विलोकी जीजे तू गति गयंदिनी ||4||
शोभा लखो विपिन की फूली लता द्रुमन की,
सुन अरज रसिक जन की करों चरण बंदिनी ||5||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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