साँवरिया ऐसी तान सुना,ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू

साँवरिया ऐसी तान सुना,ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू



साँवरिया ऐसी तान सुना,

ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।




रस की धार बहे इस मन में,

अनुपम प्यार बहे इस मन में ।
तेरी याद ना विसरे इक पल,
ऐसा मस्त बना, साँवरिया ऐसी तान सुना||1||




भूली फिरू मैं सदन कुंजन में,

बृज की चिन में दिव्य लतन में ।
रसिकन की पग रज मस्तक की,
देवे लेख जगा, साँवरिया ऐसी तान सुना ||2||




नयनन हो में लै अंसुअन का,

पग पग थिरक उठे जीवन का ।
हर इक प्राण पुकारे पी पी,
ऐसी तार हिला, साँवरिया ऐसी तान सुना ||3||




हर पल तेरा रूप निहारूं,

मैं सोवत जागत तुम्हे पुकारूँ ।
हरी हरो मन की कुटलाई, 
प्रेम की ज्योत जगा, साँवरिया ऐसी तान सुना ||4||


जै श्री राधे कृष्ण



🌺

श्री कृष्णायसमर्पणं



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