
भज ले रे मन गोपाल-गुना।।अधम तरे अधिकार भजनसूं जो आये
भज ले रे मन गोपाल-गुना।।
अधम तरे अधिकार भजनसूं जो आये हरि-सरना।
अबिसवास तो साखि बताऊं अजामील गणिका सदना||1||
जो कृपाल तन मन धन दीनह्हौं नैन नासिका मुख रसना।
जाको रचत मास दस लागै ताहि न सुमिरो एक छिना ||2||
बालापन सब खेल गमायो तरुण भयो जब रूप घना।
वृद्ध भयो जब आलस उपज्यो माया-मोह भयो मगना ||3||
गज अरु गीधहु तरे भजनसूं को तरह्ह्यो नहिं भजन बिना।
धना भगत पीपामुनि सिवरी मीराकीहू करो गणना ||4||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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