
तर्ज- तेरी रश-के कमर
जैसे बैकुण्ठ हो, लागै ज्यूँ स्वर्ग है
देखा दरबार तो माँ, मजा आ गया
तेरा दर्शण किया, तेरा पूजन किया
देखा सिणगार तो माँ, मजा आ गया
तू है ममतामयी, लोग कहते थे माँ
सच है जादू सा है, तेरी सूरत में माँ
मेरा मन लूट गया, चैन भी खो गया
पाया दीदार तो माँ, मजा आ गया ||1||
तेरे चरणों में माँ, झुकता सारा जहां
होती मन की, मुरादें, है पूरी यँहा
तू है हम सबकी माँ, हम हैं बच्चे तेरे
मिला परिवार तो माँ, मजा आ गया ||2||
उमड़ै दर पर तेरे, सारा सँसार है
पूजे तुझको हे माँ, सारे नरनार है
सबकी विनती सुने, सबकी झोली भरे
देखा ये प्यार तो माँ, मजा आ गया ||3||
"रवि" कहता है माँ, ऐसी करुणा भरो
अपना आँचल हे माँ, मेरे सर पर धरो
आज कह दो ना माँ, हूँ तेरा लाडला
मिला अधिकार तो माँ, मजा आ गया ||4||
रविन्द्र केजरीवाल "रवि"
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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