
तर्ज़ - बजरँग बली मेरी नाव चली... हे श्याम ! तुम्हारे
तर्ज़ - बजरँग बली मेरी नाव चली...
हे श्याम ! तुम्हारे चरणों में, हमें जीवन का सुख मिलता है ।।
दुःख-संकट चाहे जितने हों, फिर भी मन कँवल यह खिलता है
हम जब-जब निर्बल पडते हैं, तुम देते हमें सहारा हो ।।
हम जब-जब भँवर में फँसते हैं, तुम देते हमें किनारा हो ।।
जब छाता घोर अँधेरा है, तेरी कृपा से वो छँटता है ||1||
हम प्राणी भूल के पुतले हैं, तुम भूल हमारी भुलाते हो ।।
हम जब-जब पथ से भटके हैं, तुम सच्ची राह दिखाते हो ।।
जब मन बोझिल हो जाता है, तेरी शरण में बोझ वो घटता है||2||
इस कलयुग का प्रभाव अगर, हमरे सर चढ़ कर बोले है ।।
कहता है "रवि" तेरी इक नज़र,पड़ते ही हमारा हृदय डोले है ।।
जब मन विकार से भरता है, तेरे क्रोध से हर पल डरता है||3||
रविन्द्र केजरीवाल " रवि "
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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मेरे पाप है ज़्यादा पुण्य है कमश्री राधे बसा लो
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