
ग्वाल बाल गोपाल संग
ग्वाल बाल गोपाल संग
चरावे धेनु वृंदावन में ।
देखि सब हरखाये गोपी
लहर जागे तन में मन में ।
अंगुली पे पर्वत उठायो
तब श्री गोवर्धन कहायो
राधा के चितचोर नटखट
नंद किशोर नंद किशोर
ऐसे माखन चोर ब्रज में
मचाये शोर मचाये शोर
जग में एक ही तान जैसे
एक है सूरज गगन में ।।1।।
मोह माया की गगरी फोडूँ
एक तुझसे प्रीत जोडू
प्रीत की मिश्री हृदय में
है भरी है भरी
मैं खिलाऊँ हे हरि तु
मेरी झरी मेरी झरी
धन्य अवसर आज आयो
बाँवरी मेरे जीवन में ।।2।।
जै श्री राधे कृष्ण
🌺
श्री कृष्णायसमर्पणं
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