अरी चल दूल्हे देखन जाय ।सुंदर श्याम माधुरी मूरत अँखिया

अरी चल दूल्हे देखन जाय ।सुंदर श्याम माधुरी मूरत अँखिया



अरी चल दूल्हे देखन जाय ।
सुंदर श्याम माधुरी मूरत अँखिया निरख सिराय 


जुर आई ब्रज नार नवेली मोहन दिस मुसकाय ।
मोर बन्यो सिर कानन कुंडल बरबट मुख ही सुहाय 


पहरे बसन जरकसी भूषन अंग अंग सुखकाय ।
केसी ये बनी बरात छबीली जगमग चुचाय 


गोप सबा सरवर में फूले कमल परम लपटाय ।
नंददास गोपिन के दृग अलि लपटन को अकुलाय 

जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं

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