मनुष्य जन्म अनमोल रे

मनुष्य जन्म अनमोल रे








मनुष्य जन्म अनमोल रे


मिट्टी में न रोल रे 

अब जो मिला है फिर न मिलेगा

कभी नहीं कभी नहीं कभी नहीं ।





तू है बूंद बूंद पानी का 


मत कर जोर जवानी का


समझ समझ  कर कदम रखो


अब पता नहीं जिंदगानी का 

अजी सबसे मीठा बोल रे 

क्या लगता तेरा मोल रे ।।1।।




मतलब का संसार है


इसका क्या एतबार है


  सम्भल सम्भल के कदम रखो


ये फूल नहीं अंगार है

मन की आँखे खोल रे

नही लगता तेरा मोल रे ।।2।।

जै श्री राधे कृष्ण
🌺





श्री कृष्णायसमर्पणं

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