
बरसाने में बसा लो,मुझको हे श्यामा प्यारी
बरसाओ ऐसी करुणा , जब तक रहे जिंदगानी ।
मैं थक गई किशोरी दुनिया कि होते होते
कोई हुआ न अपना कहूँ सच ये रोते रोते
अपना लो श्यामा प्यारी कभी छोड़ना न दामन ।।1।।
मेरी आत्मा से पूछो तुम्हे कितना चाहता हूँ
हर चाहना के पीछे बस तुमको चाहता हूँ
बस कर दो एक इशारा तेरी हर मेहरबानी ।।।2।।
ले जाओ अब तो श्यामा मेरी बाँह अब पकड़ के
घबरा रही किशोरी कर्मो से अपने डर के
शर्मिंदा हूँ प्यारी कैसे खून जुबां से ।।3 ।।
कितने धनी हैं श्यामा जिन्हें आप ने संभाला
करुणा की कोर करके सिंधु से भव निकाला
मेरे सर पे हाथ रख दो मै दासी हूँ तुम्हारी ।।4।।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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