राम नाम से तूने बन्दे क्यूँ अपना मुख मोड़ा,दौड़ा जाए

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राम नाम से तूने बन्दे क्यूँ अपना मुख मोड़ा,
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा ।

इक दिन बीता खेल-कूद में,इक दिन मौज में सोया,
देख बुढ़ापा आया तो क्यों पकड़ के लाठी रोया,

अब भी राम सुमिर ले नहीं तो पड़ेगा काल हथौड़ा||1||




अमृतमय है नाम हरी का,तू अमृतमय बन जा,
मन में ज्योत जला ले,तू बस हरी के रंग में रंग जा,

डोर जीवन की सौंप हरी को,नहीं पड़ेगा फोड़ा||2||




क्या लाया क्या ले जायेगा,क्या पाया क्या खोया,
वैसा ही फल मिले यहाँ जैसा तूने है बोया,

काल शीश पर बैठा,इसने किसी को ना है छोड़ा ||3||




मन के कहे जो चलते हैं वो दुःख ही दुःख हैं पाते,

माया के वश में जो हैं वो घोर नरक में जाते,
जो भी अजर-अमर बनते थे,उनका भी भ्रम तोड़ा ||4||


जै श्री राधे कृष्ण
🌺





श्री कृष्णायसमर्पणं



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