जसोदा हरि पालनै झुलावै | हलरावै दुलरावै मल्हावै जोई सोई कछु
जसोदा हरि पालनै झुलावै |
हलरावै दुलरावै मल्हावै जोई सोई कछु गावै ||
मेरे लाल को आउ निंदरिया काहें न आनि सुवावै |
तू काहै नहिं बेगहिं आवै तोकौं कान्ह बुलावै ||
कबहुं पलक हरि मुंदी लेत हैं कबहुं अधर फरकावै |
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि करि करि सैन बतावै |
इहि अंतर अकुलाइ उठे हरी जसुमति मधुरै गावै |
जो सुख सुर अमर मुनि दुरलभ सो नंद भामिनी पावै ||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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