सखी री बडे भाग से फागुन आयो री फागुन आयो…फागुन आयो…फागुन

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सखी री बडे भाग से फागुन आयो री 

फागुन आयो…फागुन आयो…फागुन आयो री

सखी री बडे भाग से फागुन आयो री



वो भिजवे मेरी सुरंग चुनरिया,
मैं भिजवूं वाकी पाग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥२॥



चोवा चंदन और अरगजा,
रंग की पडत फुहार ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥३॥



लाज निगोडी रहे चाहे जावे,
मेरो हियडो भर्यो अनुराग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥४॥



आनंद घन जेसो सुघर स्याम सों,
मेरो रहियो भाग सुहाग ।
सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥५॥



जै श्री राधे कृष्ण

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श्री कृष्णायसमर्पणं



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