बसो मेरे नैनन में दोउ चंद।।गौर बरन वृषभान नंदिनी,स्याम वरन
बसो मेरे नैनन में दोउ चंद।।
गौर बरन वृषभान नंदिनी,
स्याम वरन नंद नंद।।१।।
कुंज-निकुंज में बिहरत दोउ,
अति सुख आनंद कंद।।
रसिक प्रीतम पिया रस में,
माते परो प्रेम के फंद।।२।।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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