गोवर्धन गिरधारी जी ।सुध लेना हमारी।गोवर्धन गिरधारी जी सुध लेना
गोवर्धन गिरधारी जी ।
सुध लेना हमारी।
गोवर्धन गिरधारी जी सुध लेना हमारी -2
आये शरण तुम्हारी जी सुध लेना हमारी ।
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे।
राधा के कुञ्ज बिहारी जी||1||
बृज मंडल में रूप निराला,
सब ग्वालों का ढंग निराला
वृन्दावन के बिहारी जी ||2||
छप्पन भोग छत्तीस व्यंजन।
भोग लगाये रहे यशोमती नंदन
छवि लागे अति प्यारी जी ||3||
कजरारे मतवारे नैना,
देखी ऐसी छवि कोई और ना
हम आये बिहारी जी ||4||
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
गिरधर नागर गिरधर नागर
राखो लाज हमारी जी ||5||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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