सखी तु मत लै वाको नाम,नहीं पछितावैगी।मन कपटी मुख मीठो
सखी तु मत लै वाको नाम,
नहीं पछितावैगी।
मन कपटी मुख मीठो बोले,
कली कली रस चाखत डोले
ऐसे से कर प्रीत कहा फल पावैगी ||1||
मेरी कहि तू चित्त न धरत है,
जासौं मोहि अब जानि परत है,
तू अपने सुंदर तन रोग लगावैगी||2||
नेह किये कछु हाथ न आवै,
लोक लाज कुल धरम नसावै,
नारायण" तू नाहक जगत हँसावैगी||3||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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