आयो है अवधूत जोगी कन्हैया दिखलावै हो माई

आयो है अवधूत जोगी कन्हैया दिखलावै हो माई

आयो है अवधूत जोगी कन्हैया दिखलावै हो माई ॥ 

हाथ त्रिशूल दूजे कर डमरू, सिंगीनाद बजावै । 
जटा जूटमें गंग बिराजै, गुन मुकुंदके गावै हो माई ॥ १ ॥ 

भुजंगकौ भूषण भस्मकौ लेपन, और सोहै रुण्डमाला । 
अर्द्धचंद्र ललाट बिराजै, ओढ़नकों मृगछाला ॥ २ ॥ 

संग सुंदरी परम मनोहर, वामभाग एक नारी । 
कहै हम आये काशीपुरीतें, वृषभ कियें असवारी ॥ ३ ॥ 

कहै यशोदा सुनौ सखीयौ, इन भीतर जिन लाऔ । 
जो मांगै सो दीजो इनकों, बालक मती दिखाऔ ॥ ४ ॥

अंतरयामी सदाशिव जान्यौ, रुदन कियौ अति गाढौ । 
हाथ फिरावन लाई यशोदा, अंतरपट दै आड़ौ ॥ ५ ॥

हाथ जोरि शिव स्तुति करत हैं, लालन बदन उघार्यो । 
'सूरदास' स्वामी के ऊपर, शंकर सर्वस वार्यो ॥ ६ ॥

जय श्री राधे कृष्ण । श्री कृष्णाय समर्पणं



Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: