मेरे बिक गये मदन गोपाल भक्तो के भक्ति मे ,
भक्तो की भक्ति में संतो की शक्ति में।
पीताम्बर भी बिक गया, कम्बली भी बिक गई ,
बिक गया मुकुट भी साथ भक्तो के भक्ति में ।।1।।
कुंडल भी बिक गये, कंगन भी बिक गया ,
बिक गई पायल भी साथ भक्तो के भक्ति में ।।2।।
बंसी भी बिक गई, माखन भी बिक गया ,
बिक गई तेड़ी -मेढी चाल भक्तो के भक्ति में ।।3।।
गईया भी बिक गई ग्वाले भी बिक गये
बिक गई राधा जी महान भक्तो के भक्ति में ।।4।।
नंदलाल का सब कुछ बिक गया,
अरे ! भक्त तो हो गये मालामाल इनकी भक्ति में ।।5।।
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणं
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