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इतना तो करना स्वामी , जब प्राण तन से निकले
गोविन्द नाम लेके , तब प्राण तन से निकले
श्री गंगाजी का तट हो , जमुना का वंशीवट हो
मेरा सांवला निकट हो , जब प्राण तन से निकले ||1||
पीताम्बरी कसी हो , छवि मन में यह बसी हो
होठों पे कुछ हंसी हो , जब प्राण तन से निकले||2||
जब कंठ प्राण आये , कोई रोग ना सताये
यम दरश ना दिखाए , जब प्राण तन से निकले ||3||
उस वक्त जल्दी आना , नहीं श्याम भूल जाना
राधे को साथ लाना , जब प्राण तन से निकले||4|
एक भक्त की है अर्जी , खुद गरज की है गरजी
आगेतुम्हारी मर्जी जब प्राण तन से निकले||5||
इतनातो करना स्वामी , जब प्राण तन से निकले ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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