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जगत के रंग क्या देखू तेरा दीदार काफी हैं
करू मै प्यार किस किस से तेरा इक प्यार काफी हैं|
नहीं चाहिए ये दुनिया के निराले रंग ढंग मुझको
चली जाऊ मै वृन्दावन तेरा दरबार काफी हैं||1||
जगत के साज बाजो से हुए हैं कान अब बहरे
कहा जाके सुनु अनहद तेरी झंकार काफी हैं||2||
जगत के रिश्तेदारों ने बिछाया जाल माया का
तेरे भक्तो से हो प्रीती तेरा परिवार काफी हैं||3||
जगत की झूठी रौशनी से हैं आँखे भर गयी मेरी
मेरी आँखों में हो हरदम तेरा प्यारा रूप काफी हैं||4||
चली जाऊ मै खाटू धाम तेरा दरबार काफी हैं|
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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