तू कर बन्दिगी और भजन धीरे -धीरेमिलेगी प्रभु की शरण

तू कर बन्दिगी और भजन धीरे -धीरेमिलेगी प्रभु की शरण



तू कर बन्दिगी और भजन धीरे -धीरे
मिलेगी प्रभु की शरण धीरे- धीरे |

गमन इन्द्रियों पर करता चला जा
काहू में आएगा मन धीरे- धीरे |||१||

सुने कान तेरे सदा वेद- वाणी
तू कर वेद -वाणी का मनन धीरे- धीरे ||२ ||

सफ़र अपना आसान करता चला जा
टूटेगा आवागमन धीरे- धीरे ||३ ||

तू दुनिया में शुभ कर्म करता चला जा
तू कर शुद्ध अपना चलन धीरे- धीरे ||४ ||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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