गोविन्द चले आओ गोपाल चले आओ
published on 16 September
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गोविन्द चले आओ गोपाल चले आओ
हे मुरलीधर माधव नंदलाल चले आओ |
गोविन्द चले आओ गोपाल चले आओ ,
हे आनन्दघन मोहन रसराज चले आओ |
निगाहों में तुम हो, ख्यालों में तुम हो ,
यह जन्नत नही है तो फिर और क्या है |
मेरे दिल को जो दर्द तुमने दिया है ,
यह महोब्बत नहीं है तो फिर और क्या है ||1||
मेरी सारी बिगड़ी बनाई है तुमने ,
मेरी जिन्दगी जगमगायी है तुमने |
जहाँ था अँधेरा वहीं रौशनी है ,
यह इनायत नहीं है तो फिर और क्या है ||2||
यह माना कि मेरी जरुरत नहीं है ,
मगर प्यारे तेरी जरुरत है मुझको |
वो मीठी सी बातों से मन मोह लेना ,
यह शरारत नहीं है तो फिर और क्या है ||3||
तुम्हारी दया की नज़र देखते हैं ,
नज़र का अनोखा असर देखते हैं |
निगाहों से पल में वो दिल का बदलना ,
यह हरकत नहीं है तो फिर और क्या है ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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