रूठ के मो से कान्हा, मुख नाहीं मोड़ो रे....

रूठ के मो से कान्हा, मुख नाहीं मोड़ो रे....



रूठ के मो से कान्हा, मुख नाहीं मोड़ो रे ,
प्रीत का बंधन कान्हा, बाँध के ना तोड़ो रे |


तुमसे बिछुड़ कर,मैंने ये जाना रे ,
तुम बिन मेरो, कोई नहीं कान्हा रे ||1||


कब से खड़ी हूँ पथ में, पलकें बिछाए ,
काश मेरे घर,इक बार श्याम आयें ||2||


तुम बूँद अमृत की , मैं भई प्यासी ,
तुम मेरे प्रीतम , मैं तोरी दासी ||3||


''जय श्री राधे कृष्णा ''


Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: