रूठ के मो से कान्हा, मुख नाहीं मोड़ो रे....
published on 17 September
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रूठ के मो से कान्हा, मुख नाहीं मोड़ो रे ,
प्रीत का बंधन कान्हा, बाँध के ना तोड़ो रे |
तुमसे बिछुड़ कर,मैंने ये जाना रे ,
तुम बिन मेरो, कोई नहीं कान्हा रे ||1||
कब से खड़ी हूँ पथ में, पलकें बिछाए ,
काश मेरे घर,इक बार श्याम आयें ||2||
तुम बूँद अमृत की , मैं भई प्यासी ,
तुम मेरे प्रीतम , मैं तोरी दासी ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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