कनहिया इक नजर जो आज तुझको देखता होगा ,
published on 17 September
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कनहिया इक नजर जो आज तुझको देखता होगा ,
मेरे सरकार को किसने सजाया सोचता होगा |
सजा कर खुद वो हैरान है की ये तस्वीर किसकी है ,
सजाया तुझको जिसने भी हंसी तकदीर उसकी है ,
कभी खुश हो रहा होगा खुशी से वो रहा होगा ||1||
जमाने भर के फूलो से कनहिया को लपेटा है ,
कली को गूथ कर कितने ही गजरो में समेटा है ,
सजा श्रींगार ना पहले ना कोई दूसरा होगा ||2||
फरिस्ते भी तुझे छुप छुप के कान्हा देखते होंगे ,
तेरी तस्वीर में खुद की झलक वो देखते होंगे .
हर्ष के दिल पे जो गुजरे ये वो ही जनता होगा ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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