कभी भूलू न याद तुम्हारी ,रटूं सांझ सवेरे राधा रमण मेरे,
published on 17 September
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कभी भूलू न याद तुम्हारी ,रटूं सांझ सवेरे
राधा रमण मेरे, राधा रमण मेरे ||
सर मोर मुकुट कानन कुंडल दो चंचल नैन कटारी ,
मुख कमल पे भँवरे बने केश लहराए काले काले ,
हो जाओ प्रकट मम हृदय में करो दिल के दूर अँधेरे ||1||
गल सोह रही मोतिन माला अधरों पर मुरली सजाये
करे घायल टेड़ी चितवन से नैनन के तीर चलाये
हे भक्तो के सरताज इंदु राधा रानी के चेरे ||2||
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अपने आँचल की छाया में करुना मय मुझे छुपा लो
मैं कई जन्मो से भटकी हूँ हे नाथ मुझे अपना लो
प्राणेश रमण तुम संग मेरे है जनम जनम के फेरे ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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