जब जब हूँ मैँ हारा गोविँद तूने दिया सहारा,
published on 17 September
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जब जब हूँ मैँ हारा गोविँद तूने दिया सहारा,
जब जब ना मिला किनारा गोविँद तूने पार उतारा |
मैँ भटका तो राह दिखायी,
फिर पुनः जीने की चाह बनायी |
जब जब टूटा तब तब जोडा,
काँटो का पथ फूलोँ पर मोडा |
जब जब मेरी कश्ती डूबी तूने मुझे उबारा ||1||
उमड घुमड कर जब जब दुख के बादल छाए,
तूने प्रेम के शीतल मेघ हर उस क्षण बरसाए |
काली रातोँ का जब जब डर बन आया,
तू ही श्याम सुंदर बनकर स्वपनोँ मेँ आया |
तेरी धुन मेँ रहा मगन मन मेँ बजता इकतारा ||2||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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