जब जब हूँ मैँ हारा गोविँद तूने दिया सहारा,

जब जब हूँ मैँ हारा गोविँद तूने दिया सहारा,





जब जब हूँ मैँ हारा गोविँद तूने दिया सहारा,
जब जब ना मिला किनारा गोविँद तूने पार उतारा |


मैँ भटका तो राह दिखायी,
फिर पुनः जीने की चाह बनायी |                           
जब जब टूटा तब तब जोडा,
काँटो का पथ फूलोँ पर मोडा |                                                                                                 
जब जब मेरी कश्ती डूबी तूने मुझे उबारा ||1||


उमड घुमड कर जब जब दुख के बादल छाए,
तूने प्रेम के शीतल मेघ हर उस क्षण बरसाए |
काली रातोँ का जब जब डर बन आया,
तू ही श्याम सुंदर बनकर स्वपनोँ मेँ आया |
तेरी धुन मेँ रहा मगन मन मेँ बजता इकतारा ||2||


''जय श्री राधे कृष्णा ''


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