पानी में मीन प्यासी
published on 17 September
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पानी में मीन प्यासी ,
मोहे सुन सुन आवत हांसी |
आत्म ज्ञान बिना नर भटके ,
कोई मथुरा कोई कशी ||१||
जैसे मृग नाभि कस्तूरी
वन वन फिरत उदासी ||२||
जल विच कमल ,कमल विच कलियाँ ,
तां पर भंवर उदासी ||3||
सो मन वचन विलोक भयो सब ,
यति यति सन्यासी ||४||
जाको ध्यान धरे मुनिहरी हर
मुनिजन सहज उदासी ||५||
सो तेरे घर माहि विराजे ,
परम पुरुष अविनाशी ||६||
है हाजिर तोहे दूर दिखावे ,
दूर की बात निराशी ||७||
कहे कबीर सुनो भई साधो ,
गुरु बिन भ्र्म न जासी ||८||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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