आली री मोहिं लागे वृन्दावन नीको।
published on 18 September
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आली री मोहिं लागे वृन्दावन नीको।
घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा,
दरसन गोविन्द जी को ||1||
निर्मल नीर बहत जमुना में,
भोजन दूध दही को ||2||
रतन सिंघासन आपु बिराजैं,
मुकुट धरयो तुलसी को ||3||
कुंजन कुंजन फिरत राधिका,
शब्द सुनत मुरली को ||4||
"मीरा" के प्रभु गिरधर नागर,
भजन बिना नर फीको ||5||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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