जय जय श्री गोपाल कृष्णम

जय जय श्री गोपाल कृष्णम



जय जय श्री गोपाल कृष्णम ,
भज मन श्री राधे गोविन्दम।

काया की छाया में , जग तो है माया ,
सोचा है क्या तूने क्यूँ आग में आया।
भज ले श्री राधे श्री कृष्णम।|1||

कलियुग में कृष्ण ही तारण हार ,
सरे जगत के पालन हार।
गोविन्द- गोविन्द शरणम ||2||

मधुर वचन है श्री राधा की बोली ,
भरले श्री कृष्णा के नाम से झोली।
राधा रमण रूप मधुरम ||3||

सुख तो है मृग तृष्णा ,फिर क्यूँ तू भटके ,
जग के झमेले में फिर क्यूँ आ अटके ।
कृष्ण के नाम आनंदम ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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