
ये हमारे ब्रज का रसिया है ,
अरी चित चोर लियो है कन्हाई ,
तन मन की सुध बिसराई |
मेरो बिसर गयो घर अंगना है ,
सजनी अब चैन परे न है ,
मन सांवरी सूरत भायी ||1||
मैं प्रेम दीवानी कान्हा की ,
मेरे उर पीर भाई वाकी ,
मोहन संग प्रीत लगायी ||2||
रसिया तेरी है जाउंगी ,
रसिकन के दर्शन पाउंगी ,
हो मोहे ले चल संग लिवायी ||3||
सखी प्रेम पंथ मोहे भायो है ,
मन राधा रमन समायो है ,
मैं तो भूल गयी चतुराई ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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