
अब तो बस दे दे दरस, ओ सांवरे ,
जग की ज्वाला में जला मन, ढूंढे तेरी छाँव रे |
एक तेरी प्यास तेरी आस, हर एक श्वास में
तुझको पा जाऊं तड़पता मन ,इसी विश्वास में
रिश्ते नाते तोड़ रख दी, जिंदगी भी दांव रे ||1||
न राधा हूँ न मीरा हूँ , न तुलसी न संत कबीर
तेरा नाम ले भटक रहा हूँ, बना बावरा एक फकीर
अब तो बता दे है कहाँ, तेरा देश, तेरा गाँव रे ||2||
जग का बंधन ना रहा, ना देह का बंधन
सुख दुःख भूला, हर्ष शोक, भूला सब क्रंदन
बस प्रतीक्षा रत पडूंगा , कब तुम्हारे पाँव रे ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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